Monday, May 19, 2008

विश्व व्यापी खाद्द्यान्न संकट और अमेरिका

मित्रों ब्लॉग युवा पॉवर का पहला लेख लिखते मुझे बहुत ही हर्ष का अनुभव हो रहा है इस प्रथम लेख मे मैं आपके सामने इस समय का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा लाया हूँ जैसा की समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के माध्यम से इस समय हर व्यक्ति यह जान चुका है की सम्पूर्ण विश्व इस समय एक महा खाद्द्यान्न संकट से जूझ रहा है विश्व के कई देशों में भुखमरी की नौबत आ चुकी है। तमाम सर्वेक्षणों के अनुसार दुनिया के पास मात्र ४९ दिनों का अनाज शेष है यानि ५० वें दिन लोगो के पास खाने के लिए कुछ भी न बचेगा इस भीषण समस्या से निपटने के लिए हमारे पास कोई रास्ता भी नही बचा है। दुनिया के कई देशों में भूखे लोगों ने विद्रोह का रास्ता अपना लिया है। ऐसे विद्रोहों के लिए जो देश इस समय सबसे ज़्यादा चर्चा में है उसका नाम हैती है इस लैटिन अमेरिकी देश में भूखों की फौज ने तमाम अनाज के भंडारों को लूट लिया यहाँ तक की संसद और राजप्रासाद पर भी धावा बोल दिया इस संघर्ष में पांच लोगों की तुरंत ही मौत हो गई और तमाम घायल हुए।
मित्रों चर्चा का विषय यह है की इस सबका जिम्मेदार कौन है अमेरिका की विदेश मंत्री कोंदिलिजा राईस और राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के अनुसार भारत और चीन, या स्वयं को दुनिया का भाग्य विधाता समझने वाला अमेरिका। जॉर्ज बुश भले ही भारतीयों के 'पेट' को इसका दोषी करार दें मगर सच्चाई यही है की दुनिया में सबसे अधिक बड़े पेट वाले अमेरिका में ही पाए जाते हैं अमेरिकनों की खाद्य आदतों को कौन नही जनता जितना वे खाते हैं उससे कही ज़्यादा फेकते हैं भारत में कई स्थानों पर लोगों को बड़ी मुश्किल से दो जून की रोटी नसीब होती है।
विश्व के मुख्य कृषि प्रधान देशों जैसे भारत, चीन, अर्जेंटीना आदि ने जब अपने अनाज निर्यात कार्यक्रमों की सीमाएं तय करना प्रारम्भ किया, विश्व बैंक में खलबली मच गई और उसने तमाम देशों से आग्रह किया की वह निर्यात पर पाबन्दी न लगाएं परन्तु इस परिपेक्ष्य में क्या यह आग्रह सही माना जा सकता है जब अमेरिका की जैव ईंधन की नीति के फलस्वरूप गत वर्ष की एक तिहाई मकई की फसल बायोफ्यूल में खर्च कर दी गई है ऐसी स्थिति में अमेरिका का भारतीयों पर दोष थोपना कहीं से भी तर्क संगत नहीं लगता है। सबसे बड़ी परेशानी की वजह यह है की अमेरिका की देखादेखी कई लातिन अमेरिकी, योरोपियन व अफ्रीकी देश भी उसी के नक्शेकदम पर चलने लगे हैं। इस परिपेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि श्री jyan jiglar का यह बयान "योरोपीय यूनियन और अमेरिका बायोफ्यूल बनाने में अनाज का अपराध्पूर्ण इस्तेमाल कर रहे हैं।" बहुत ही महत्वपूर्ण है।
मित्रों इस लेख पर आपकी अमूल्य राय बहुत ही लाभदायक होगी।

- इमरान अहमद 'अजनबी'
बाराबंकी

4 comments:

Unknown said...

hey imran bhai good startin keep it up

Unknown said...

अपने प्रकार का यह पहला ब्लाग है और आपके इस प्रयास की मैं खुले दिल से सराहना करती हूं वास्तव मे आपने बहुत ही ज्वलन्त मुद्दा उठाया है विश्व सरकारों को जल्द हि इसपे कोई सार्थक कदम उठाना होगा !

S M Faiz Haider said...

यह बात सत्य है ... की अमरीका और उसकी पिछलग्गू विश्व संस्थाओं का रवैय्या पक्षपातपूर्ण रहा है, इस विषय पर आपके विचार सराहनीय हैं |

Tausif A. Siddiqui said...

herthis is an immense step taken by Mr. Imran Ahmed by creating such a good blog as today the young generation need to be awakened....hope that more and more 'yuva' will get attached with this blog and this community..with all my best wishes...Tausif Ahmed