Friday, July 11, 2008

परमाणु करार : क्या सही क्या ग़लत

वर्तमान समय में देश में हर व्यक्ति परमाणु करार को लेकर अपनी अपनी राय कायम कर रहा है ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या लोगो को परमाणु करार के बारे में पुरी जानकारी है या वे केवल समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों द्वारा दी गई अधि अधूरी जानकारी के बल पर परमाणु करार को सही या ग़लत ठहरा रहे हैं, मित्रों तस्वीर का एक पहलू यह भी है कि आज देश को परमाणु ऊर्जा कि आवश्यकता है और साथ ही अपनी संप्रभुता व स्वतंत्रता भी बनाये रखना ज़रूरी है। जहाँ तक वामपंथियों का सवाल है उनका विरोध भी अपनी जगह जायज़ है हर संगठन के विचार अलग अलग होते हैं मगर यहाँ पर हमें स्वयं अपनी एक विचारधारा विकसित करनी होगी क्योंकि मामला केवल परमाणु ऊर्जा का नही हमारी संप्रभुता का भी है। सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि करार के बाद हमारी स्थिति क्या होगी इस सन्दर्भ में हमारे सामने तीन उदाहरण भी मौजूद हैं जिसमे से एक ब्रिटेन जिसने कि अपनी संप्रभुता अमेरिका के हवाले कर दी है और कमोपेश यही स्थिति पश्चिम एशिया के सभी देशो कि है हाँ इरान एक अपवाद ज़रूर है। दूसरा उदाहरण फ्रांस का है जो कि अमेरिका के नजदीक होते हुए भी अपनी संप्रभुता को कायम रखे हुए है विएतनाम और इस्राइल अदि जैसे मुद्दों पैर अपनी स्वतंत्र राय रखता है। यानी की वह अमेरिका के दबाव में नही है। तीसरा उदाहरण चीन का है वैचारिक रूप से अमेरिका का परम शत्रु होते हुए भी चीन अमेरिका के लिए अपने व्यापारिक रस्ते खोले हुए है और जितने कम समय में चीन ने अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति करी है वह विश्व राष्ट्रों के लिए एक नजीर हो सकती है।

अब हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि उपरोक्त तीनो उदाहरणों में भारत किस भूमिका में है वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए इस बात कि बहुत अधिक सम्भावना है कि भारत कि स्थिति भी जल्द ही ब्रिटेन के जैसी होने जा रही है। ये भी ही सकता है कि भारत एक अमेरिकी नाभिकीय उपनिवेश बन क रह जाए क्योंकि भारत के समुद्र तटों पर थोरिअम का अथाह भंडार मौजूद है यह भी सम्भव है कि अमेरिका हमसे वाही थोरिअम खरीद कर उसे उरेनिं में बदल कर हमें ही बेच दे। ऐसी स्थितियों से बचने के लिए हम सभी का फ़र्ज़ है कि परमाणु करार के बारे में पूरी जानकारी लिए बिना कोई राय न कायम करें और सरकार को चाहिए कि जनता को विशवास में लिए बिना परमाणु करार पर आगे न बढे। वरना यह कदम देश कि आन्तरिक और वाह्य स्थितियों में कोई भी परिवर्तन ला सकता है।

मित्रों इस विषय पर आपकी अमूल्य राय में प्रतीक्षारत

इमरान अहमद 'अजनबी'

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